कम पानी में अजवाइन की खेती

कम पानी में अजवाइन की खेती


आइए जानते हैं दुनिया भर में मसाले के रूप में प्रयोग किए जाने वाले अजवाइन के बारे में अजवाइन एक मसाला की फसल के साथ-साथ एक औषधि फसल भी है जिस की खेती भारत में कई स्थानों पर बहुत समय से की जा रही है इसकी खेती आप कंपनी में भी कर सकते हैं यह हम आपको बताएंगे भारत में हर घर में अजवाइन का प्रयोग कई प्रकार से किया जाता है वह कई नुस्खों में भी इसका प्रयोग किया जाता है यह बहुत ही अच्छे औषधीय गुणों के साथ फास्फोरस कैल्शियम आयरन जैसे पोषक तत्वों के साथ पाचन क्रिया को मजबूत बनाने में सहयोग होता है वह इसका उपयोग दंत मंजन बनाने के रूप में भी किया जाता है



कम पानी में अजवाइन की खेती करने के लिए इसे बारिश के मौसम में बोया जाता है अगस्त महीने में इसकी बुवाई कर दी जाती है वह ठंडी के मौसम में जो फसल तैयार हो जाती है इस पर्सन को तैयार होने में 130 से 140 दिन का समय लगता है

कहां कहां होती है अजवाइन की खेती

वैसे तो भारत में कई स्थानों पर अजवाइन की खेती की जाती है किंतु उनमें से प्रमुख प्रांत मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, पंजाब, और बंगाल है वह विदेशों में भी इसकी खेती की जाती है जिसमें अफगानिस्तान, ईरान और अमेरिका है

अजवाइन की खेती के लिए जलवायु का चयन

अजवाइन की खेती के लिए सूट और सर्द जलवायु उत्तम मानी जाती है अधिक सर्दी फसल को नुकसान पहुंचाती है और पाला गिरने से फसल खराब भी हो सकती हैं अलका शुष्क मौसम फसल के लिए बहुत ही अच्छा माना गया है वॉइस के पकने के समय अधिक तापमान मदद करता है हम बात कर रहे हैं कंपनी में खेती की तो हम इसे 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस मनाने के बाद इसकी बुवाई कर सकते हैं बारिश में इसकी बुवाई करने से आपको अतिरिक्त सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती इसकी बुआई करने पर बारिश खत्म होने के बाद सर्दी के मौसम में इसमें फूल आना शुरू हो जाते हैं वह यह समय के साथ अगर जल्द ही तैयार हो जाती हैं जिससे आप बाजार में सबसे पहले अच्छा भाव लेकर अच्छी आमदनी कर सकते हैं

अजवाइन की बुवाई के लिए खेत तैयार कैसे करें

अजवाइन का बीज महीन होता है इसलिए मिट्टी का नरम और भुरभुरा होना आवश्यक है इसलिए खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से अच्छी तरह जुताई कर मिट्टी को बुरा बना ले और साथ ही खरपतवार भी नष्ट कर दें अंतिम जुताई से पहले अच्छी कंपोस्ट खाद को जेब कल्चर मिलाकर खेत में बिखेर दें जिससे बारिश के मौसम में जीवाणु प्रजनन कर पूरे खेत की मिट्टी को उपजाऊ बनाएंगे जिससे रासायनिक उत्पादों की आवश्यकता कम होगी और एक जैविक खेती कर आप अच्छा लाभ कमा पाएंगे वह इस बात का भी ध्यान रखें की खेत में पानी ना भरे जल निकास के उत्तम व्यवस्था हो जिससे फसल के खराब होने की आशंका ना रहे

अजवाइन की उन्नत किस्में

अजवाइन की उन्नत किस्में A A 1, A A 2, RA1 80, RA 19 80 हे जिसका चयन आप अपने क्षेत्र के अनुसार कर सकते हैं

अजवाइन की बुवाई कैसे करें

अजवाइन की बुवाई आप खेत में समान मात्रा में बिखेर कर कर सकते हैं या फिर सीड ड्रिल मशीन की सहायता से भी इसकी बुवाई की जा सकती हैं पर हमारा सुझाव है कि आप इसे हाथ की सहायता से खेत में बिखेर कर इस पर क्यारियां बनाने वाले यंत्र से ट्रैक्टर में मिट्टी को बिखेरते जिससे क्यारियां बनने के साथ-साथ मिट्टी भी समतल हो जाए गी

अजवाइन की खेती में सिंचाई कैसे करें

सामान्यतः इस विधि में बारिश के मौसम में सिंचाई की कोई खास आवश्यकता नहीं होती किंतु लंबे समय तक वर्षा ना होने से मीठी जब कठोर होने लगे तो आप सिंचाई कर सकते हैं अन्यथा सिंचाई की आवश्यकता नहीं रहती वह फसल देख ले आप की वर्षा ऋतु के बाद पूरी तरह नापाकी हो तो 1 2 सिंचाई की जा सकती हैं

अजवाइन की खेती के लिए जैविक उर्वरक

अजवाइन की खेती में आप पहले वर्मी कंपोस्ट डाल चुके हो तो नाइट्रोजन फिक्सेशन बैक्टीरिया, फास्फोरस बैक्टीरिया, पोटाश मोबेलाइज बैक्टीरिया का छिड़काव कर दें जो खुद ब खुद मिट्टी में अपनी संख्या बढ़ा कर इन सारे पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं वह हो सके तो मिट्टी परीक्षण करा ले जिससे आपको मिट्टी में होने वाले पोषक तत्वों की कमी के बारे में जानकारी मिलेगी और इससे आप अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र से सहायता ले उस कमी को पूरा कर सकते हैं

अजवाइन की फसल की कटाई और भंडारण

फसल तैयार होने में 130 से 140 दिन का समय लगता है जब बीच के बच्चों का रंग हल्का भूरा होने लगे तब फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है पटाई के बाद फसल को कल की छांव में सुखाकर सुखाने के बाद अच्छी तरह सूखने के बाद डंडे से पीटकर या फिर मशीन की सहायता से अजवाइन के दानों को पौधे से अलग किया जाता है वह इनको अच्छी तरह बारीक छन्नी की सहायता से छान कर बोरों में पॉलीथिन लगाकर अच्छी तरह बांधकर भंडारण कर सकते हैं

अजवाइन की पैदावार और भाव

अजवाइन की पैदावार सामान्यत 5 से 6 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन होता है जिसका बाजार भाव अच्छी साफ करने के बाद 12 से 22000 प्रति क्विंटल मिलता है जो एक काफी अच्छी आमदनी किसान की हो सकती