हल्की भूमि में अच्छी पैदावार रामतील की खेती

हल्की भूमि में अच्छी पैदावार रामतील की खेती


राम तिल एक तिलहनी फसल है जिस की खेती अनउपजाओ तथा कम उर्वरा शक्ति वाली भूमि में की जा सकती है इसमें तेल तथा प्रोटीन की अच्छी मात्रा होने के कारण बाजार भी काफी अच्छा मिलता है अधिकतर आदिवासी इलाकों में पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है जिसमें 5 से 7 किलो बीज बोकर 7 से 8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त होती हैं वह सरल होने के कारण कई जगह इसकी खेती की जाती है इसके बाद जो इस क्षेत्र में जो फसल ली जाती है उसमें भी पैदावार में बढ़ोतरी होती है वह यह भूमि की उपजाऊ क्षमता भी बढ़ाता है साथ ही भूमि के कटाव को रोकती हैं वह 100 दिन के भीतर ही उसकी फसल तैयार हो जाती हैं




रामतील की प्रमुख किस्में

राम तील की प्रमुख किस्में इस प्रकार हैं jnc 1, jnc 6, jnc 9, बिरसा नाइजर 2, बिरसा नाइजर 3, बिरसा नाइजर 10, kbn 1 मैं से किसी का भी चयन कर सकते हैं को अपने क्षेत्र के अनुसार रिसर्च कर ले

खेत को कैसे तैयार करें

राम तिल की फसल के लिए कोई विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती कम से कम जुताई में भी इसकी अच्छी से अच्छी फसल ली जा सकती है वह पर्वती क्षेत्र या हल्की बंजर भूमि पर भी इसकी खेती आसानी से की जा सकती हैं

रामतील की बुवाई कैसे करें

सामान्यतः राम तिल का बीज 5 से 7 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बोया जाता है वह ट्रैक्टर चलित उपकरण सीड ड्रिल की सहायता से से बोलने पर इसमें कंडे की रात या फिर गोबर की छवि विभाग या वर्मी कंपोस्ट को छानकर मिला ले जिससे बीज अधिक दूरी पर बोया जा सके यह कतार से कतार की दूरी 1 फीट तथा पौधे से पौधे की दूरी आठ से 10 सेंटीमीटर का अनुमान रखकर 3 से 4 सेंटीमीटर की गहराई पर इसकी बुवाई की जाती है और बीच को बोलने से पहले बीज उपचार जरूर करें इस तरीके से कम बीज को समान मात्रा में पूरे खेत में बोह पाएंगे

राम तेल में जैव उर्वरकों का प्रयोग

जैव उर्वरकों के लिए नमी होना बहुत आवश्यक है इसके लिए आप इन्हें बीज उपचार करते समय बुवाई के साथ बीजों में ही मिलाकर या फिर फली गुड़ाई के समय गोबर की खाद में मिलाकर प्रयोग में ला सकते हैं इसमें आप एजे टॉप एक्टर ट्राइकोडरमा पीएसबी जैसे जेल कल्चर का प्रयोग कर सकते हैं सत्ता इन सेवकों के बारे में पढ़ने के लिए इन पर क्लिक करें

वह हो सके तो अंतिम जुताई से पहले गोबर की अच्छी साड़ी खाद समान रूप से खेतों में भुखेर कर अंतिम जुताई करें जेवर अप फसल में होने वाले नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश की कमी को पूरा कर देंगे जिसमें कम खर्च में अधिक लाभ होता है

निंदाई गुड़ाई

फसल बोने के बाद 30 से 40 दिनों में नींद आए गुड़ाई करें खरपतवार का ध्यान रखें समय-समय पर खरपतवार कैसे निकालते रहें वॉइस में सबसे अधिक होने वाली समस्या अमरबेल की है अमरबेल की समस्या से निपटने के लिए यहां क्लिक करें

रामतील की सिंचाई

राम तिल की फसल वर्षा ऋतु में बोई जाती है जिसमें इसकी सिंचाई पूर्णा तथा वर्षा पर आधारित होती हैं कम वर्षा होने पर भूमि में नमी की मात्रा कम होती है ऐसी स्थिति में आप इसमें सिंचाई कर सकते हैं

रमतिल में रोग और कीट प्रबंधन

रामतिल में होने वाले रोगों में मुख्यतः चर्म रोग हैं जिनके लिए आप ट्राइकोडरमा से बीज उपचार कर सकते हैं वह नीम की खली या फिर महुआ की खली को गोबर की खाद में मिलाकर प्रयोग कर सकते हैं इसे आप मूंग उड़द के साथ भी बोनी कर सकते हैं

राम तिल की फसल की कटाई

राम तिल की फसल 100 से 110 दिनों में तैयार हो जाती हैं पौधे की पत्तियां सूख जाए और गिरने लगे तो फसल अच्छी तरह की होती हैं सब इसे काट लेना चाहिए वह इसके गुट्टे बांधकर 1 सप्ताह तक धूप में सुखाएं वह तिल की तरह ही लकड़ी के डंडों से पीटकर इसकी गवाही क रे

राम तिल का औसत बाजार भाव 4,000 से 5,000 प्रति क्विंटल होता है जिससे 4 से 5 क्विंटल प्रति एकड़ की पैदावार में हल्की और बंजर भूमि में भी 15,000 से ₹20,000 आमदनी हो सकती हैं